उत्तर- भाग्य को बदलने के लिए हमें कर्म को बदलना चाहिए । अब आप सोचेगे कि कैसे ? वो इसलिए क्योंकि भाग्य हमारे ही कर्म से बनता है । ये कर्म इस जन्म के और पूर्वजन्म के होते है । अब लोग ये बात नही समझ पाते और गलतफहमी में आकर इधर-उधर के चक्कर काटते है, और अंतिम में हार कर बोलते है कि होगा वही जो राम रची राखा । फिर एक और गलती कर बैठते है, और राम को ही दोषी बना देते है । जबकि इसमें राम की कोई गलती नहीं होती है । क्योंकि राम तो इसमे दखल देते ही नहीं मनुष्य का भाग्य और भविष्य तो उसके कर्म पे आधारित होता है।