मनुष्य को अपना जीवन मनुष्य बनके जीना चाहिए । पशु बनकर नहीं । अब आप कहेगें कि मै ऐसा क्यों बोल रहा हूँ तो इसके बहुत सारे कारण है । आप थोड़ा ध्यान से अपने आप को ईमानदारी से देखे कि क्या आप सिर्फ अपने लिए नहीं जीते है , आपके अन्दर स्वार्थ की भावना नहीं है । आपका पुरे दिन का कार्य सिर्फ खाना और अपने लिए कमाना और किसी से भी अपनी इच्छा पूर्ति ना होने पर गुस्सा होना या फिर झगड़ा करना नहीं है । और यदि है तो ये सारे गुण पशु के है
क्योंकि
पशु सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए जीता है ।
जब तक इंसान अपने लिए जिएगा । अपने स्वार्थ के लिए जिएगा तब तक वो परेशान, हताश, उदास, चिड़चिड़ा ही रहेगा ।
अगर आप अपना जीवन अच्छा से सुखपूर्वक जीना चाहते है तो आप को अपने जीवन से स्वार्थ की भावना निकालना होगा । समाज के लिए जीना होगा । गरीब की मदद करनी होगी । ईमानदारी से काम करना होगा लालच छोड़ना होगा । पैसा ही सबकुछ है ऐसा सोच बदलना होगा ।
हाँ ये सही है कि पैसा से बहुत कुछ मिल रहा है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि पैसा ही सबकुछ है । और ये भी ना समझे कि पैसा से सबकुछ खरीदा जा सकता है ।